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Tuesday, 14 June 2011

हिन्दी चिट्ठाकारिता मेरी नज़र से


और हरदा खण्डवा मार्ग समा गया अथाह जल राशि में,
 मोबाइल फ़ोटो : गिरीश बिल्लोरे

                             हिन्दी ब्लागिंग एक ऐसे मुकाम पर पहुंच गई है जहां से सब कुछ साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा है .विषय परक ब्लागिंग को कम ही ब्लागर स्वीकार कर पा रहे हैं - गोया उनको दैनिक डायरी लिखना हो. मेरा मानना है कि यदि हिंदी ब्लागर स्वयं के लिये कुछ लिखना चाहते हैं तो बेशक जो चाहें लिखें किंतु यदि मामला सार्वजनिक  पठन-पाठन से जुड़ा हो तो यदि विशेषज्ञता पूर्ण नहीं लिखा जाता तो तय है कि ऐसे लेखन का औचित्य कदापि नहीं है. ब्लाग अब व्यक्तिगत रूप से लिखी जाने वाली विधा नहीं रह गई है. और अंतरजाल को भी अधिकाधिक हिंदी कण्टैंट से भरे जाने की ज़रूरत है. अत: आवश्यकता इस बात की  है कि समाजोपयोगी लेखन हो. किंतु ऐसा कम ही हो रहा है. परंतु इसके मायने ये नहीं कि हिंदी ब्लागिंग कमज़ोर है बल्कि मज़बूती के साथ तेज़ी से विकसित हो रही है. मेरे एक मित्र कहते हैं-"अब हिंदी ब्लागर्स को खुद ही पूरी शिद्दत के साथ विषयपरक एवम गम्भीर लेखन की ज़रूरत है. मसलन कोई भी एक विषय पर लिखिये ताक़ि आपका लेखन जनोपयोगी हो..!"
  मित्र से मैं सौ फ़ीसदी सहमत हूं इस सोच के साथ ही हिंदी ब्लागिंग में मैंने प्रवेश किया है कोशिश होगी कि अडिग रहूं गम्भीर लेखन के प्रति     

10 comments:

  1. ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है प्रहलाद भाई।

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  2. स्वागत है, शुभकामनाएँ.

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  3. स्वागत..... लेखन का स्तर बना रहे यह ब्लॉग लेखक और पाठकों दोनों के लिए ही अच्छा है.....

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. आपको हार्दिक शुभकामनायें। स्वागत है.....

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  6. प्रहलाद जी!
    वन्दे मातरम.
    आपने प्रवेशालेख में सारगर्भित टिप्पणी की है बधाई. हिंदी चिट्ठाकारिता (ब्लोगिंग) में उद्देश्यपरक लेखन महती आवश्यकता है. यह तभी संभव है जब हिंदी में हर विषय को प्रस्तुत करने की क्षमता अधिकतम विकसित की जाये. हर शब्द के अर्थ तय हों. अभी हम अंगरेजी के शेप और साइज़ दोनों को आकार कहते हैं. इनके लिये अलग-अलग शब्द तय करना होंगे. अंगरेजी में रेल पटरी है, ट्रेन रेलगाड़ी... हिंदी में रेल को पटरी के अर्थ में लिखना दोषपूर्ण है. 'प्लान्टेशन' को 'पौधारोपण' के स्थान पर 'वृक्षारोपण' कहना गलत है. सैंड, सिल्ट, सॉइल सभी को मिट्टी कहना भी गलत है. विज्ञानं में हर शब्द का विशिष्ट अर्थ होता है. हिंदी भाषा के विकास में चिट्ठाकारी की महती भूमिका है. देशज शब्दों, अहिन्दी/आदिवासी भारतीय भाषाओँ/बोलिओं के शब्दों को हिंदी व्याकरण के अनुसार हिंदी के शब्द क्कोश में जोड़ना होगा.
    आपका स्वागत. समय मिले तो divyanarmada.blogspot.com देखें.

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  7. स्वागत है...
    हार्दिक शुभकामनाएँ....

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  8. This comment has been removed by the author.

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